
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के सख्त नियमों के अनुसार, भारत के किसी भी नागरिक के लिए एक से अधिक आधार कार्ड रखना गैरकानूनी है, आधार एक विशिष्ट पहचान संख्या है और बायोमेट्रिक डेटा से जुड़ी होती है, जिसका उद्देश्य ‘एक व्यक्ति, एक आधार’ सुनिश्चित करना है।
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यदि किसी व्यक्ति के पास गलती से या जानबूझकर दो अलग-अलग आधार संख्या वाले कार्ड पाए जाते हैं, तो यह आधार अधिनियम, 2016 (Aadhaar Act, 2016) का उल्लंघन माना जाता है और संबंधित व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानूनी और दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है।
क्या हो सकती है कार्रवाई?
दो आधार कार्ड रखने के मामले में UIDAI द्वारा निर्धारित जुर्माने और सजा का प्रावधान है। दोषी पाए जाने पर ₹10,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और कुछ मामलों में, कानूनी कार्रवाई के तहत कारावास (जेल) भी हो सकती है।
अगर आपके पास दो आधार हैं तो क्या करें?
यदि आपके पास अनजाने में दो अलग-अलग आधार संख्याएं जारी हो गई हैं, तो घबराने की बजाए तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई करना आवश्यक है। UIDAI ने इस समस्या के समाधान के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया निर्धारित की है:
- जितनी जल्दी हो सके, UIDAI की आधिकारिक हेल्पलाइन 1947 पर कॉल करें। यह टोल-फ्री नंबर 24×7 उपलब्ध है। वहां के प्रतिनिधि को अपनी स्थिति के बारे में स्पष्ट रूप से बताएं।
- अपने नजदीकी स्थायी नामांकन केंद्र (Permanent Enrolment Centre) पर व्यक्तिगत रूप से जाएं। वहां के अधिकारी को लिखित में एक पत्र दें, जिसमें बताया गया हो कि आपको दो आधार संख्याएं गलती से प्राप्त हुई हैं।
- आपको दोनों में से एक आधार संख्या को निष्क्रिय (deactivate) या सरेंडर करने के लिए निर्धारित फॉर्म भरना होगा। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि आपके रिकॉर्ड UIDAI डेटाबेस में सही रहें।
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क्या न करें?
- किसी भी आधिकारिक या वित्तीय कार्य के लिए जानबूझकर दोनों आधार कार्डों का उपयोग करने से बचें। यह धोखाधड़ी का मामला बन सकता है।
- UIDAI या किसी सरकारी संस्था से यह जानकारी छिपाने की कोशिश न करें। पारदर्शिता बनाए रखें।
कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए समय रहते एक आधार संख्या को निष्क्रिय करवाना ही एकमात्र सुरक्षित उपाय है, UIDAI की सलाह है कि नागरिक हमेशा अपने नवीनतम और वैध आधार कार्ड का ही उपयोग करें।





