
नियोजन विभाग द्वारा सभी विभागों के अपर मुख्य सचिवों और प्रमुख सचिवों को भेजे गए पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि आधार कार्ड में दर्ज जन्मतिथि किसी भी प्रमाणित दस्तावेज के आधार पर नहीं होती, इसलिए अब से इसे जन्मतिथि के वैध प्रमाण के रूप में स्वीकार न किया जाए, जन्म प्रमाण पत्र, हाईस्कूल प्रमाण पत्र, नगर पालिका या स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी पत्र जैसे पारंपरिक दस्तावेज ही स्वीकार किए जाएंगे।
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यदि किसी राज्य के नियोजन विभाग ने अपने अपर मुख्य सचिवों और प्रमुख सचिवों को ऐसा पत्र भेजा है, तो यह निर्णय उस विशिष्ट राज्य के भीतर सरकारी नियुक्तियों, सेवाओं या राज्य-विशिष्ट कल्याणकारी योजनाओं पर लागू होता है।
मुख्य तर्क यह है कि
- आधार कार्ड जारी करते समय व्यक्ति की पहचान और पते पर मुख्य जोर दिया जाता है।
- आधार में जन्मतिथि हमेशा एक प्रमाणित दस्तावेज़ (जैसे जन्म प्रमाण पत्र या हाई स्कूल मार्कशीट) के सत्यापन के बाद ही अपडेट की जाती है, लेकिन आधार कार्ड स्वयं उस अंतर्निहित दस्तावेज़ का स्थान नहीं लेता है, विभाग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि रिकॉर्ड में दर्ज जन्मतिथि किसी “मूल” या “पारंपरिक” दस्तावेज़ से मेल खाती हो, जिस पर जारीकर्ता प्राधिकारी की मुहर हो।
प्रभाव
- यदि आप उस राज्य के निवासी हैं, तो सरकारी नौकरियों, पदोन्नति या पेंशन मामलों में आयु सत्यापन के लिए अब आधार कार्ड में लिखी जन्मतिथि पर्याप्त नहीं मानी जाएगी।
- आपको आयु के प्रमाण के लिए पारंपरिक दस्तावेज़ (जन्म प्रमाण पत्र, हाई स्कूल की मार्कशीट, पासपोर्ट) प्रस्तुत करने होंगे, जैसा कि पत्र में उल्लेख किया गया है।
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राष्ट्रीय स्तर पर
- यह निर्णय राष्ट्रीय स्तर पर आधार की वैधता को शून्य नहीं करता है, केंद्र सरकार की योजनाओं या अन्य राज्यों में आधार अभी भी पहचान और जनसांख्यिकीय डेटा के लिए एक वैध और व्यापक रूप से स्वीकृत दस्तावेज बना हुआ है, जब तक कि विशिष्ट योजनाओं द्वारा अन्यथा निर्दिष्ट न किया जाए।
आपके द्वारा बताए गए परिपत्र का उद्देश्य सरकारी प्रशासन में जन्मतिथि की सटीकता को लेकर सख्ती बरतना है, ताकि केवल पारंपरिक और आधिकारिक रूप से प्रमाणित दस्तावेजों को ही मान्यता दी जा सके।





