
भारत सरकार ने व्यक्तिगत पहचान सुधारने और कर चोरी रोकने के उद्देश्य से पैन (Permanent Account Number) और आधार (Aadhaar) कार्ड को लिंक करना अनिवार्य किया है। अगर कोई व्यक्ति अपने पैन को आधार से लिंक नहीं करता है, तो उसे 10,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। हालांकि, सरकार ने कुछ विशिष्ट लोगों को राहत भी दी है, जिनके लिए ये नियम लागू नहीं होते हैं।
पैन-आधार लिंक न करने पर जुर्माना
यदि आपने अपनी पैन कार्ड को आधार कार्ड से समय सीमा तक लिंक नहीं किया, तो आपका पैन कार्ड “इनऑपरेटिव” (अकर्मक) घोषित हो जाता है। ऐसी स्थिति में, पैन का उपयोग कर आप वित्तीय लेनदेन नहीं कर सकते हैं जैसे कि बैंक खाता खोलना, निवेश करना, या टैक्स रिटर्न फाइल करना। इन मामलों में नियमों के तहत ₹10,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है, खासकर यदि कोई व्यक्ति इनऑपरेटिव पैन का उपयोग करता है। यह जुर्माना प्रत्येक लेनदेन पर लगाया जा सकता है, लेकिन यदि गलती अनजाने में हुई है तो सरकार छूट भी देती है।
किन लोगों को मिली राहत?
कई विशेष वर्गों को आधार-पैन लिंकिंग से छूट दी गई है। इनमें शामिल हैं:
- जिन लोगों ने 1 अक्टूबर 2024 के बाद आधार एन्क्रोलमेंट आईडी के आधार पर पैन बनाया है, उनके लिए लिंकिंग की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2025 रखी गई है और इसके लिए कोई जुर्माना नहीं लगेगा अगर वे समय पर लिंक करते हैं।
- 80 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक।
- असम, मेघालय और जम्मू-कश्मीर के निवासी।
- गैर-निवासी भारतीय (NRI) और अन्य जो भारतीय नागरिक नहीं हैं।
इन व्यक्तियों को पैन-आधार लिंकिंग के लिए जुर्माना नहीं देना होगा और उन्हें अतिरिक्त दंड से भी मुक्त रखा जाएगा।
अब क्या करें?
अगर आपने अभी तक अपना पैन आधार से लिंक नहीं किया है, तो तत्काल लिंक करना जरूरी है। लिंकिंग प्रक्रिया आईटी विभाग की वेबसाइट या मोबाइल ऐप के माध्यम से सरलता से की जा सकती है। लिंकिंग के बाद आपका पैन पुनः सक्रिय हो जाएगा और आप बिना किसी रुकावट के अपने वित्तीय कामकाज कर सकेंगे। अगर लिंकिंग की अंतिम तारीख निकल गई है तो ₹1,000 का लेट फील भी चुकाना पड़ सकता है, लेकिन 31 दिसंबर 2025 तक उन लोगों के लिए जो आधार एन्क्रोलमेंट आईडी के साथ पैन प्राप्त कर चुके हैं, यह शुल्क नहीं लगेगा।
इसलिए, पैन और आधार को समय पर लिंक कराएं ताकि भविष्य में ₹10,000 तक के भारी जुर्माने से बचा जा सके और वित्तीय कामकाज में किसी भी तरह की बाधा न आए। यह नियम भारत सरकार की ओर से पारदर्शिता और कर प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।